हिंदी भाषा के प्रख्यात उपन्यासकार हजारी प्रसाद द्विवेदी

हिंदी भाषा के प्रख्यात उपन्यासकार, आलोचक, निबंधकार, स्व. हजारी प्रसाद द्विवेदी। साहित्य के इन सभी क्षेत्रों में द्विवेदी जी अपनी प्रतिभा और विशिष्ट कर्तव्य के कारण विशेष यश के भागी हुए हैं। द्विवेदी जी का व्यक्तित्व गरिमामय, चित्तवृत्ति उदार और दृष्टिकोण व्यापक था। द्विवेदी जी की प्रत्येक रचना पर उनके इस व्यक्तित्व की छाप देखी जा सकती है। द्विवेदी जी की भाषा परिमार्जित खड़ी बोली थी। उन्होंने भाव और विषय के अनुसार भाषा का चयनित प्रयोग किया। द्विवेदी जी के निबंधों के विषय भारतीय संस्कृति, इतिहास, ज्योतिष, साहित्य, विविध धर्मों और संप्रदायों का विवेचन आदि है।
हिंदी के अलावा, वे संस्कृत, बंगाली, पंजाबी, गुजराती, पाली, प्राकृत, और अपभ्रंश सहित कई भाषाओं के जानकार थे। मध्ययुगीन संत कबीर के विचारों, कार्य और साखियों पर उनका शोध एक उत्कृष्ट कार्य माना जाता है। उनके ऐतिहासिक उपन्यास बाणभट्ट की आत्मकथा (१९४६), अनामदास का पोथा, पुनर्नवा, चारु चन्द्र लेखा को क्लासिक्स माना जाता है. उनके यादगार निबंध नाखून क्यों बढते हैं, अशोक के फूल, कुटज, और आलोक पर्व (संग्रह) आदि हैं।

Advertisement

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here