हिंदी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार, कवि, लेखक, व्यंग्यकार और पत्रकार स्व. हरिशंकर शर्मा। उन्हें उर्दू, फ़ारसी, गुजराती तथा मराठी आदि भाषाओं का अच्छा ज्ञान था। पंडित हरिशंकर शर्मा हिन्दी के कुछ गिने चुने हास्य लेखकों में से एक थे। इनकी गिनती अपने समय के उच्च कोटि के पत्रकारों में होती थी। उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं का सफल सम्पादन किया था।
अपनी रचनाओं के माध्यम से हरिशंकर शर्मा समाज में फैली रूढ़ियों, कुरीतियों तथा अन्य बुराइयों पर करारी चोट करते थे। ‘आर्यमित्र’ तथा ‘भाग्योदय’ के अतिरिक्त आपने, ‘आर्य संदेश’, ‘निराला’, ‘साधना’, ‘प्रभाकर’, ‘सैनिक’, ‘कर्मयोग’, ‘ज्ञानगंगा’ तथा ‘दैनिक दिग्विजय’ आदि कई पत्र-पत्रिकाओं का कुशलता एवं स्वाभिमान के साथ सम्पादन किया था। वे उनमें विविध विषयों से संबंधित साम्रगी के साथ-साथ सुरुचिपूर्ण हास्य-व्यंग्य की रचनाएँ भी प्रकाशित करते थे। इन रचनाओं के माध्यम से वे समाज में व्याप्त कुरीतियों, रूढियों तथा विभीषिकाओं पर कारारी चोट करते थे। ‘आर्यमित्र’ के सम्पादन के दिनों में सर्वश्री बनारसीदास चतुर्वेदी, डाँ.सत्येन्द्र तथा रामचन्द्र श्रीवास्तव जैसे सुयोग्य व्यक्तियों का सहयोंग उन्हें प्राप्त हुआ था। ‘आर्यमित्र’ का सम्पादन पंडित जी से पूर्व पंडित रूद्रदत्त शर्मा सम्पादकाचार्य तथा लक्ष्मीधर वाजपेयी ‘सर्वानन्द’ के नाम से कर चुके थे।
पंडित हरिशंकर शर्मा जहाँ गंभीर रचनाएँ लिखने के लिए प्रसिद्ध थे, वहीं उनकी हास्य-व्यंग्य पूर्ण रचनाएँ भी सोद्देश्य होती थीं। वे विशिष्ट भाषा-शैली तथा भाव-भंगिमा लिए होती थीं। जहाँ अधिकतर हास्य-व्यंग्य की रचनाएँ केवल मंनोरंजन के उद्देश्य से फूहड़पन, अश्लीलता तथा निम्न कोटि की होती थीं, वहीं पंडित जी की रचनाओं में स्वस्थ मनोरंजन तो होता ही था, उनमें समाज की कुरीतियों पर भी करारी चोट होती थी। उनमें भाषा तथा विचारों का फूहड़पन नहीं होता था।