हिन्दी एवं गुजराती भाषा के साहित्यकार श्री. आबिद सुरती। आबिद सुरती चित्रकार, कार्टूनिस्ट, व्यंग्यकार, उपन्यासकार और कहानीकार भी हैं। विभिन्न कलाविधाएँ उनके लिए कला और ज़िन्दगी के ढर्रे को तोड़ने का माध्यम हैं। उनकी ये कोशिशें उनके चित्रों में नज़र आती हैं। स्वभाव से यथार्थवादी होते हुए भी वे अपनी कहानियों में मानव-मन की उड़ानों को शब्दांकित करते हैं।
‘धर्मयुग’ जैसी पत्रिका में 30 साल तक लगातार ‘कार्टून कोना ढब्बूजी’ पेश करके उन्होंने एक रिकार्ड ही बनाया है। धर्मयुग पत्रिका के लिए आबिद सुरती ने आम आदमी को चित्रित करती हुई एक कार्टून स्ट्रिप बनायीं थी, जो प्रसिद्ध पत्रिका का एक लोकप्रिय अंग बन गया था- ढब्बू जी। छोटी कद-काठी के और ऊपर से लेकर नीचे तक काले लबादे में ढंके ढब्बू जी ने अपने व्यंग और कटाक्ष से पाठकों का दिल जीत लिया था। “ढब्बू जी की वेशभूषा आबिद सुरती साहब ने अपने वकील पिता से ली थी और ढब्बू जी का आगमन एक गुजरती अख़बार/पत्रिका से हुआ था।
‘ढब्बू जी’ वाले आबिद सुरती
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