प्रत्येक संस्कृति की जानकारी प्राप्त कराने में ‘साहित्य’ महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साहित्य से हम अपनी विरासत के बारें में सीख सकते हैं। आज की भागती दौड़ती जिंदगी में यदि इंसान किसी चीज़ से सबसे ज़्यादा दूर हो रहा है तो वह है ‘साहित्य’। इसके दुष्परिणाम भी साफ़ तौर पर देखे जा सकते हैं। लोगो के बारे में किसी के द्वारा अच्छा कहने-सुनने की, एक-दूसरे को समझने की तथा रोचक बातचीत की क्षमता कम हो रही है। टी. वी. इंटरनेट या और कोई दूसरे माध्यम जीवन में साहित्य का स्थान बिलकुल नहीं ले सकते हैं।
जीवन का महत्व बताते हुए प्रेमचंद ने बड़े ही सुन्दर शब्दों में बताया हैं कि “साहित्य का आधार जीवन है। इसी नीव पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है तथा उसकी अटारिया मीनार और गुम्बंद बनते हैं।
प्रेमचंद – “हर एक देश की भाषा ही उसकी संस्कृति और सभ्यता की पहचान कराती है। साहित्य समाज का दर्पण है इसलिए यह प्रगति के लिए हमेशा महत्वपूर्ण रहेगा”