‘नई रोशनी’

Ray of Hope
  • – सविता टिळक

ज़िंदगी ने फिर एक बार रोशनी बिखेरी
अंधेरी गलियाँ उजालें से जगमगायी
फिर मन में जीने की उमंग जगी
ज़िंदगी नए सिरे से शुरु हुई

आँखे गमों में डूबी डूबी सी
सपनों सें कतराती सहमी सहमी
टिमटिमाते दियों से चमक उठी
ख़्वाबों की चांदनी सजानें लगी

लेकर जीने का नया मोड़
छोड़कर पीछे दुख की यादें
यूंही जीवन झूम उठें खुशियों सें
चलते चलते एक दूजे के संग

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