आधुनिक युग के वीर रस के श्रेष्ठ कवि ‘दिनकर’

आधुनिक युग के वीर रस के श्रेष्ठ कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’. बिहार राज्य के बेगू सराय जिले में जन्मे वे भारतीय साहित्य के प्रमुख लेखक, कवी एवं निबंधकार थे। उन्होंने सामाजिक और आर्थिक समानता और शोषण के खिलाफ कविताओं की रचना की। स्वतंत्रता पूर्व कालमें वे एक विद्रोही कवीके रूपमें जाने गए और स्वतंत्रताके बाद वे राष्ट्रकवी के नाम से जाने गए। 

एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तिय का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है। 

रामधारी सिंह जी की रचना

ऊँच-नीच का भेद न माने, वही श्रेष्ठ ज्ञानी है,
दया-धर्म जिसमें हो, सबसे वही पूज्य प्राणी है।
क्षत्रिय वही, भरी हो जिसमें निर्भयता की आग,
सबसे श्रेष्ठ वही ब्राह्मण है, हो जिसमें तप-त्याग।
तेजस्वी सम्मान खोजते नहीं गोत्र बतला के,
पाते हैं जग में प्रशस्ति अपना करतब दिखला के।


Advertisement

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here