साहित्य वाचस्पति पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी

Hindi Writer Padumlal Punnalal Bakshi

हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध उपन्यासकार, निबंधकार, कवि पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी। वे सरस्वती पत्रिका के कुशल संपादक, साहित्य वाचस्पति और मास्टर जी के नाम से प्रसिद्ध थे। वे ‘मास्टरजी’ के नाम से भी जाने जाते थे।

बख्शी जी की गणना द्विवेदी-युग के प्रमुख साहित्यकारों में होती है। साहित्य जगत् में ‘साहित्यवाचस्पति पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी’ का प्रवेश सर्वप्रथम कवि के रूप में हुआ था। उनकी रचनाओं में उनका व्यक्तित्व स्पष्ट परिलक्षित होता है। बख्शी जी मनसा, वाचा, और कर्मणा से विशुद्ध साहित्यकार थे। मान-प्रतिष्ठा-पद या कीर्ति की लालसा से कोसों दूर निष्काम कर्मयोगी की भाँति पूरी ईमानदारी और पवित्रता से निश्छल भावों की अभिव्यक्ति को साकार रूप देने की कोशिश में निरन्तर साहित्य सृजन करते रहे। उपन्यास के प्रेमी पाठक होने पर भी अपने को असफल कहते। लेकिन इनके उपन्यासों को पढ़ कर कोई यह नहीं कह सकता कि बख्शी जी असफल उपन्यासकार हैं।

बख्शी जी की भाषा शुद्ध साहित्यिक खड़ीबोली है। वे भाषा में संस्कृत शब्दों का अधिक प्रयोग करते थे। उन्होंने अपने लेखन में समीक्षात्मक, भावात्मक, विवेचनात्मक, व्यंग्यात्मक शैली को अपनाया। पदुमलाल पन्नालाल बख्शी ने अध्यापन, संपादन लेखन के क्षेत्र में कार्य किए। उन्होंने कविताएँ, कहानियाँ और निबंध सभी विधाओं में लिखा हैं पर उनकी ख्याति विशेष रूप से निबंधों के लिए ही है। उनका पहला निबंध ‘सोना निकालने वाली चींटियाँ’ सरस्वती में प्रकाशित हुआ था। बख्शी जी के ढेर सारे समीक्षात्मक निबंध भी रोचक कथात्मक शैली में लिखे गये हैं। बख्शी जी ने मौलिक रचनाओं के अतिरिक्त देश-विदेश के कई लेखकों की रचनाओं का सारानुवाद भी किया था।

Advertisement

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here