गुजराती भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार उमाशंकर जोशी

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गुजराती भाषा के प्रतिभावान कवि और साहित्यकार स्व. उमाशंकर जोशी, उपनाम ‘वासुकी’। १९३१ में प्रकाशित काव्य संकलन ‘विश्वशांती’ से उनकी ख्याति एक समर्थ कवि के रूप में हो गई थी। काव्य के अतिरिक्त उन्होंने साहित्य के अन्य अंगों, यथा कहानी, नाटक, उपन्यास, आलोचना, निबंध आदि को भी पोषित किया। आधुनिक और गांधी युग के साहित्यकारों में उनका शीर्ष स्थान है। जोशीजी अध्यापक और संपादक रहे।
वे गुजरात विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष थे। फिर वहां के वाइस चांसलर भी बने। उन्हें राज्यसभा का सदस्य नामजद किया गया था। साहित्य अकादमी का अध्यक्ष बनाया गया। १९७९ में वे शांतिनिकेतन के विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त किए गए। उन्हें अनेक विश्वविद्यालयों ने डी.लिट्. की मानद उपाधियां दीं।
उमाशंकर जोशी की प्रमुख कृतियाँ हैं- विश्वशांति (६ खंडों में) गंगोत्री, निशीथ, गुलेपोलांड, प्राचीना, आतिथ्य और वसंत वर्ष, महाप्रस्थान (काव्य ग्रंथ), अभिज्ञा (एकांकी); सापनाभरा, शहीद (कहानी); श्रावनी मेणो, विसामो (उपन्यास); पारंकाजण्या (निबंध); गोष्ठी, उघाड़ीबारी, क्लांतकवि, म्हारासॉनेट, स्वप्नप्रयाण (संपादन)। ‘विश्वशांति’ में अहिंसा और शांति के लिए किए गए गांधीजी के प्रयत्नों की महिमा का वर्णन है। इसे गुजराती काव्य में नए युग का प्रवर्तक माना जाता है।

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