बांग्ला भाषा के प्रसिद्ध कवि, साहित्यकार और नाटककार स्व. माइकल मधुसूदन दत्त। माइकल मधुसूदन दत्त बंगाल में अपनी पीढ़ी के उन युवकों के प्रतिनिधि थे, जो तत्कालीन हिंदू समाज के राजनीतिक और सांस्कृतिक जीवन से क्षुब्ध थे और जो पश्चिम की चकाचौंधपूर्ण जीवन पद्धति में आत्मभिव्यक्ति और आत्मविकास की संभावनाएँ देखते थे।
माइकल अतिशय भावुक थे। यह भावुकता उनकी आरंभ की अंग्रेजी रचनाओं तथा बाद की बांग्ला रचनाओं में व्याप्त है।
बांग्ला रचनाओं को भाषा, भाव और शैली की दृष्टि से अधिक समृद्धि प्रदान करने के लिये उन्होनें अंग्रेजी के साथ-साथ अनेक यूरोपीय भाषाओं का गहन अध्ययन किया। संस्कृत तथा तेलुगु पर भी उनका अच्छा अधिकार था। माइकल मधुसूदन दत्त मुख्य रूप से कवि थे।
नाटकों की सफलता के बाद वे काव्य रचना की ओर भी प्रवृत्त हुए।
उनकी प्रमुख काव्य कृतियाँ हैं – तिलोत्तमा, मेघनाद वध, व्रजांगना,वीरांगना
नाटक – ‘पद्मावती’, ‘कृष्ण कुमारी’, ‘एकेई कि बले सभ्यता’ और ‘बूड़ो शालिकेर घोड़े रो’
Home Literature Bengali अपनी पीढ़ी के युवकों के प्रतिनिधि रहनेवाले बांग्ला साहित्यकार माइकल मधुसूदन दत्त