हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की विद्वान और सुप्रसिद्ध सरोद वादक कलाकार स्व. शरन रानी। शरन रानी का जन्म दिल्ली के एक जाने माने कायस्थ परिवार में हुआ था। उस समय लड़कियों के संगीत के क्षेत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की मनाई थी, लेकिन प्रतिकूल वातावरण होने के बावजूद भी शरन रानी ने सरोद वादन में निपुणता हासिल की। सरोद सम्राज्ञी शरन रानी जी ने उस्ताद अलाउद्दीन खां और उस्ताद अली अकबर खां जैसे गुरुओं से सरोद की शिक्षा ग्रहण की थी। वे मैहर सेनिया घराने से ताल्लुक रखती थीं। पद्मभूषण से अलंकृत शरन रानी ने कई रागों की रचना की थी। वाद्य संगीत तथा सरोद वादन के क्षेत्र में वह देश की पहली महिला कलाकार थीं, जिन्होंने अमेरिका तथा ब्रिटेन की संगीत कंपनियों के साथ रिकार्डिंग कीं। वे प्रथम महिला थीं जो संगीत को लेकर पूरे भूमंडल में घूमीं, विदेश गईं, जिन्हें सरोद के कारण विभिन्न प्रकार के सम्मान मिले और सरोद पर डॉक्टरेट की उपाधियों से नवाज़ा गया। वे प्रथम महिला थीं जिन्होंने पंद्रहवीं शताब्दी के बाद बने हुए वाद्य यंत्रों को न केवल संग्रहित किया बल्कि राष्ट्रीय संग्रहालय को दान में दे दिया। उन्होंने यूनेस्को के लिए रिकार्डिग भी की। इसलिए पं॰ नेहरू ने उन्हें ‘सांस्कृतिक राजदूत’ और पं॰ ओंकार नाथ ठाकुर ने ‘सरोद रानी’ का खिताब दिया था। शरण रानी ने “दि डिवाइन सरोद : इट्स आ॓रिजिन एंटिक्विटी एंड डेवलपमेंट इन इंडिया सिंस बीसी सेकेंड सेंचुरी” किताब लिखी थीं। वे दुर्लभ वाद्यों का संग्रह करती थीं। उन्होंने ‘शरन रानी बाकलीवाल वीथिका’ की स्थापना भी की जिसमें ४५० शास्त्रीय संगीत के वाद्यों को प्रदर्शित किया गया है।
सरोद जैसे कठिन साज़ को संपूर्ण ऊँचाई प्रदान करनेवाली प्रथम महिला विद्वान कलाकार शरन रानी
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