उर्दू-फ़ारसी के सर्वकालिक महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब

Mirza Ghalib

उर्दू-फ़ारसी भाषा के सर्वकालिक महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब जिनका असली नाम था ‘मिर्ज़ा असदउल्ला बेग ख़ान’।

फ़ारसी कविता के प्रवाह को हिन्दुस्तानी ज़बान में लोकप्रिय करवाने का श्रेय इनको दिया जाता है। ग़ालिब ने अपनी रचनाओं में सरल शब्दों का प्रयोग किया है। उर्दू गद्य-लेखन की नींव रखने के कारण इन्हें वर्तमान उर्दू गद्य का जन्मदाता भी कहा जाता है। इनकी अन्य रचनाएँ ‘लतायफे गैबी’, ‘दुरपशे कावेयानी’, ‘नामाए ग़ालिब’, ‘मेह्नीम’ आदि गद्य में हैं।

इनकी रचनाओं में देश की तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक स्थिति का वर्णन हुआ है। बहुत कठिनाइयों के बावजूद मिर्ज़ा ग़ालिब ने अपनी परिस्थितियों को विवेक, बुद्धिमत्ता, जीवन के प्रति प्रेम से मोड़ दिया। उनकी उर्दू कविता और शायरी को उनके जीवन काल में सराहना नहीं मिली, लेकिन आज उनकी विरासत को काफी सराहा जाता है, विशेषकर उर्दू ग़ज़लों में उनकी श्रेष्ठता को।

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