– रोहन पिंपळे / कविता /
वह पहले भी तुम्हें पढ़ाते थे…
वह अब भी तुम्हें पढ़ा रहे हैं…
इस डिजिटलवाली दुनिया में
बदला सिर्फ पढ़ाने का जरिया है…
वह तब भी जी जान से मेहनत करते थे
वह अब भी तुम्हारे लिए मेहनत करते हैं….
इस मतलबी दुनिया में वही
बेशुमार ज्ञान का दरिया है…
कल भी वह तुम्हारी फ़िक्र करते थे…
वह अब भी तुम्हारी फ़िक्र करते हैं…
पर ना जाने क्यों आज यहां
बदला हुआ तुम्हारा नज़रिया है…
सच्चे दिल से सबको पढ़ाया है…
प्रगति की राह पर हमेशा बढ़ाया है…
खुद राह पर रुके हुए हैं
सबको अपनी मंज़िल से मिलवाया है…
हर कोई लगा हुआ है यहां
अपनी खुशियां सवारने में…
बस टीचर को खुशी मिलती है
बच्चों का भविष्य सुधारने में…
ऐसे हालात में भी उनकी कोशिश
समझना ज़रुरी है…
हर बार नहीं पर एक बार सही
उनकी सराहना ज़रुरी है…
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