Poem

कोरी पाटी

कल्पेश वेदक / कविता / तू दिलेल्या जन्माचा ओसंडून वाहणाऱ्या ममतेचा मी अखंड ऋणी आहे... अवखळलेल्या चालीतूनएका मार्गावर आणून पोहचविण्याचा मी अखंड ऋणी आहे... पण आता, हे आयुष्य असेच...

फिर किसी रोज़

- मानसी बोडस / ग़ज़ल / फिर किसी रोज़ मुलाक़ात ज़रूरी होगी ।कल की वह बात हमें मंज़ूर नहीं होगी ॥ वह दिन भी आएंगे...

जीवन का सच

- सविता टिळक / कविता / कहते है लोग ज़िंदगी एक जुआ।हारे कौन और कौन जीते सताए यहीं चिंता।लुभाता है मन को बाहरी दिखावा।नही समझते...

स्त्रीशक्ती

- सविता टिळक / कविता / येतेस एक नाजूकशी कळी होऊन या जगात।हळूहळू बागडू लागतेस घरभर, निनादू लागतो पैंजणांचा आवाज।भातुकलीच्या खेळात रमतेस तासनतास।चिमुकल्या हातांनी भरवतेस...

हिंदी को राष्ट्र भाषा के रुप में प्रतिष्ठित करनेवाले आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह भारतेन्दु हरिश्चंद्र

आधुनिक हिंदी साहित्य के महान रचनाकार स्व. भारतेन्दु हरिश्चन्द्र। इनका मूल नाम 'हरिश्चन्द्र' था, 'भारतेन्दु' उनकी उपाधि थी। बाबू हरिश्चन्द्र बाल्यकाल से ही परम...

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