आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक डॉ. धर्मवीर भारती। वे साप्ताहिक पत्रिका ‘धर्मयुग’ के प्रधान संपादक थे। उनकी कविताएँ, कहानियाँ, उपन्यास, निबंध, गीतिनाट्य और रिपोतार्ज हिंदी साहित्य की उपलब्धियाँ हैं। भारती जी के लेखन की एक खासियत यह भी है की हर उम्र और हर वर्ग के पाठकों के बीच उनकी अलग-अलग रचनाएँ लोकप्रिय है। वे मूल रूप से व्यक्ति स्वातंत्र्य, मानवीय संकट एवं रोमानी चेतना के रचनाकार हैं। तमाम सामाजिकता एवं उत्तरदायित्वों के बावजूद उनकी रचनाओं में व्यक्ति की स्वतंत्रता ही सर्वोपरि है।
रुमानियत उनकी रचनाओं में संगीत में ले की तरह मौजूद है। उनका सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यास गुनाहों का देवता एक सरस और भावप्रवण प्रेम कथा है। दूसरे लोकप्रिय उपन्यास सूरज का सातवाँ घोड़ा पर हिंदी फ़िल्म भी बन चुकी है। इस उपन्यास में प्रेम को केंद्र में रखकर निम्न मध्यवर्ग की हताशा, आर्थिक संघर्ष, नैतिक विचलन और अनाचार को चित्रित किया गया है। स्वतंत्रता के बाद गिरते हुए जीवन मूल्य, अनास्था, मोहभंग, विश्वयुद्धों से उपजा हुआ डर और अमानवीयता की अभिव्यक्ति अंधा युग में हुई है। अंधा युग गीतिसाहित्य के श्रेष्ठ गीतिनाट्यों में है। मानव मूल्य और साहित्य पुस्तक समाज-सापेक्षिता को साहित्य के अनिवार्य मूल्य के रूप में विवेचित करती है।
बाक़ी सब ठीक है लेकिन फोटो धर्मवीर भारती जी की नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री जी की है।
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