हिन्दी, ब्रजभाषा के प्रमुख साहित्यकार स्व. गोपाल प्रसाद व्यास। पंडित गोपाल प्रसाद व्यास ब्रजभाषा के कवि, समीक्षक, व्याकरण, साहित्य-शास्त्र, रस-रीति, अलंकार, नायिका-भेद और पिंगल के मर्मज्ञ के रूप में विख्याती प्राप्त थे। पंडित जी हिन्दी में व्यंग्य-विनोद की नई धारा के जनक माने जाते हैं। पंडित गोपाल प्रसाद व्यास हास्य रस में पत्नीवाद के प्रवर्तक कहे जाते हैं। वे सामाजिक, साहित्यिक, राजनीतिक व्यंग्य-विनोद के प्रतिष्ठा प्राप्त कवि एवं लेखक थे और ‘हास्यरसावतार’ के नाम से प्रसिद्ध थे। उन्होंने अपनी विद्वत्ता से हिन्दी को समृद्ध किया था।
‘साहित्य संदेश’ आगरा, ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ दिल्ली, ‘राजस्थान पत्रिका’ जयपुर, ‘सन्मार्ग’, कलकत्ता में संपादन तथा दैनिक ‘विकासशील भारत’ आगरा के प्रधान संपादक के तौर पर भी गोपाल प्रसाद व्यास ने बहुत कार्य किया। स्तंभ लेखन में सन १९३७ से अंतिम समय तक निरंतर संलग्न रहे। ब्रज साहित्य मंडल, मथुरा के संस्थापक और मंत्री से लेकर अध्यक्ष तक का पद आपने सुशोभित किया था। ‘दिल्ली हिन्दी साहित्य सम्मेलन’ के संस्थापक और ३५ वर्षों तक महामंत्री और अंत तक संरक्षक रहे। श्री पुरुषोत्तम हिन्दी भवन न्यास समिति के संस्थापक महामंत्री के पद पर अंत तक कार्य करते रहे। लाल क़िले के ‘राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन’ और देश भर में होली के अवसर पर ‘मूर्ख महासम्मेलनों’ के जन्मदाता और संचालक का कार्य बखूबी समाप्त किया।