चलो मन गंगा जमुना तीर,
गंगा यमुना निर्मल पानी
शीतल होत शरीर।।धृ।।
बंसी बजावत गावत कान्हा
संग लिए बलवीर,
गंगा जमुना निर्मल पानी शीतल होत शरीर ।।१।।
मोर मुकट पीताम्भर सोहे,
कुंडल छलकत ही,
गंगा जमुना निर्मल पानी शीतल होत शरीर ।।२।।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर
चरणों पर है सीर,
गंगा जमुना निर्मल पानी शीतल होत शरीर ।।३।।
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