हिंदी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार हंस कुमार तिवारी

हिंदी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार हंस कुमार तिवारी। तिवारी जी स्वतंत्र लेखक के साथ-साथ एक सफल पत्रकार तथा सम्पादक भी रहे। सन १९५१ में वे बिहार सरकार के राजभाषा पदाधिकारी नियुक्त हुए। इनकी साहित्यिक साधना की प्रथम उपलब्धि ‘कला’ नामक पुस्तक का प्रकाशन सन १९३८ ई. में हुआ था। आलोचना के क्षेत्र में यह इनका प्रथम प्रयास था। रोज़ी-रोटी के लिए सतत संघर्ष करते हुए हंस कुमार तिवारी ने अपने कर्मजीवन का प्रारम्भ स्वतंत्र लेखन तथा पत्रकारिता से किया। इस कृति में उन्होंने कला के विविध पक्षों का आलोचनात्मक वैज्ञानिक विवेचन प्रस्तुत किया है। विषय प्रतिपादन तथा उपयोगिता की दृष्टि से इस पुस्तक का अपना एक विशिष्ट स्थान है।

तिवारी जी स्वतंत्र लेखक के साथ-साथ सफल पत्रकार तथा सम्पादक भी रहे। सन १९३८-१९३९ में उन्होंने पटना से प्रकाशित ‘बिजली’ साप्ताहिक का सम्पादन किया तथा सन १९४०-१९४१ में भागलपुर से एक मासिक पत्र निकाला। इसी बीच पटना के मासिक ‘किशोर’ का सम्पादन भी उन्होंने किया। सन १९४३ से १९४७ तक गया में ‘ऊषा’ के सम्पादक रहे।

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  1. हंस कुमार तिवारी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। बांग्ला भाषा पर भी इनकी अच्छी पकड़ थी।

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