हिन्दी खड़ी बोली और भारतेन्दु युग के उन्नायक प्रतापनारायण मिश्र

भारतेन्दु मण्डल के प्रमुख लेखक, कवि और पत्रकार ‘प्रतापनारायण मिश्र’जी.
वे हिन्दी गद्य साहित्य के सुप्रसिद्ध साहित्यकार थे। खड़ी बोली के रूप में प्रचलित जनभाषा का प्रयोग मिश्र जी ने अपने साहित्य में किया। प्रचलित मुहावरों, कहावतों तथा विदेशी शब्दों का प्रयोग इनकी रचनाओं में हुआ है। देश-प्रेम, समाज-सुधार एवं साधारण मनोरंजन आदि उनके निबंधों के मुख्य विषय थे। उन्होंने ‘ब्राह्मण’ नामक मासिक पत्र में हर प्रकार के विषयों पर निबंध लिखे थे।

साहित्यिक रचनाएं

काव्य – ‘कानपुर माहात्म्य’, ‘तृप्यन्ताम्‌’, ‘तारापति पचीसी’, ‘दंगल खण्ड’, ‘प्रार्थना शतक’, ‘प्रेम पुष्पावली’, ‘फाल्गुन माहात्म्य’, ‘ब्रैडला स्वागत’, ‘मन की लहर’, ‘युवराज कुमार स्वागतन्ते’, ‘लोकोक्ति शतक’, ‘शोकाश्रु’, ‘श्रृंगार विलास’, ‘श्री प्रेम पुराण’, ‘होली है’, ‘दीवाने बरहमन’ और ‘स्फुट कविताएँ’।
उपर्युक्त रचनाओं में से ‘तृप्यन्ताम्‌’, ‘तारापति पचीसी’, ‘प्रेम पुष्पावली’, ‘ब्रैडला स्वागत’, ‘मन की लहर’, ‘युवराजकुमार स्वागतन्तें’, ‘शोकाश्रु’, ‘प्रेम पुराण’ तथा ‘होली’ ‘प्रताप नारायण मिश्र कवितावली’ में संग्रहीत हैं।
नाट्य-साहित्य – ‘कलि कौतुक’ (रूपक), ‘जुआरी खुआरी’ (प्रहसन, अपूर्ण), ‘हठी हमीर’, ‘संगीत शाकुन्तल’ (‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्’ के आधार पर रचित गीति रूपक), ‘भारत दुर्दशा’ (रूपक), ‘कलि प्रवेश’ (गीतिरूपक), ‘दूध का दूध और पानी का पानी’ (भाण, अपूर्ण)।
निबन्ध – ‘प्रताप नारायण ग्रंथावली भाग एक’ – इसमें मिश्र जी के लगभग २०० निबन्ध संग्रहीत हैं।
आत्मकथा – ‘प्रताप चरित्र’ (अपूर्ण) – यह प्रताप नारायण ग्रंथावली भाग एक में संकलित है।
उपन्यास (अनूदित) – ‘अमरसिंह’, ‘इन्दिरा’, ‘कपाल कुंडला’, ‘देवी चौधरानी’, ‘युगलांगुलीय’ और ‘राजसिंह राधारानी’ – सभी उपन्यास प्रसिद्ध कथाकार बंकिम चन्द्र के उपन्यासों के अनुवाद हैं।
कहानी (अनूदित) – ‘कथा बाल संगीत’, ‘कथा माला’, ‘चरिताष्टक’।
संग्रहीत रचनाएँ – ‘मानस विनोद’ (पद्य), ‘रसखान शतक’ (पद्य), ‘रहिमन शतक’ (पद्य), और ‘सती चरित’ (गद्य)।

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