तिलिस्मी उपन्यासकार दुर्गा प्रसाद खत्री

हिंदी भाषा के प्रख्यात उपन्यासकार, लघुकथालेखक स्व. दुर्गा प्रसाद खत्री। तिलिस्मी उपन्यास में दुर्गा प्रसाद खत्री ने अपने पिता की परंपरा का बड़ी सूक्ष्मता के साथ अनुकरण किया है। जासूसी उपन्यासों में राष्ट्रीय भावना और क्रांतिकारी आंदोलन प्रतिबिम्बित हुआ है। सामाजिक उपन्यास प्रेम के अनैतिक रूप के दुष्परिणाम उद्घाटित करते हैं। लेखक का महत्व इस बात में भी है कि उसने जासूसी वातावरण में राष्ट्रीय और सामाजिक समस्याओं को प्रस्तुत किया।

इनके उपन्यास चार प्रकार के हैं –

१. तिलिस्मी ऐयारी उपन्यास – भूतनाथ और रोहतासमठ उनके इस विधा के उपन्यास हैं और इनमें उन्होंने अपने पिता की परंपरा को जीवित रखने का ही प्रयत्न नहीं किया है वरन्‌ उनकी शैली का इस सूक्ष्मता से अनुकरण किया है कि यदि नाम न बताया जाय तो सहसा यह कहना संभव नहीं कि ये उपन्यास देवकीनंदन खत्री ने नहीं वरन्‌ किसी अन्य व्यक्ति ने लिखें हैं।

२. जासूसी उपन्यास – प्रतिशोध, लालपंजा, रक्तामंडल, सुफेद शैतान जासूसी उपन्यास होते हुए भी राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत हैं और भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन को प्रतिबिंबित करते हैं। सुफेद शैतान में समस्त एशिया को मुक्त कराने की मौलिक उद्भावना की गई है। शुद्ध जासूसी उपन्यास हैं–सुवर्णरेखा, स्वर्गपुरी, सागर सम्राट् साकेत और कालाचोर इनमें विज्ञान की जानकारी के साथ जासूसी कला को विकसित करने का प्रयास है।

३. सामाजिक उपन्यास के रूप में अकेला कलंककालिमा है जिसमें प्रेम के अनैतिक रूप को लेकर उसके दुष्परिणाम को उद्घाटित किया गया है। बलिदान को भी सामाजिक चरित्रप्रधान उपन्यास कहा जा सकता है किंतु उसमें जासूसी की प्रवृत्ति काफी मात्रा में झलकती है।

४. संसार चक्र अद्भुत किंतु संभाव्य घटनाचक्र पर आधारित है माया उनकी कहानियों का एकमात्र संग्रह है। ये कहानियां सामाजिक नैतिक हैं। उनकी साहित्यिक महत्ता यह है कि उन्होंने देवकीनंद खत्री और गोपालराम गहमरी की ऐयारी जासूसी-परंपरा को तो विकसित किया ही हैं, सामाजिक और राष्ट्रीय समस्याओं को जासूसी वातावरण के साथ प्रस्तुतकर एक नई परंपरा को विकसित करने की चेष्टा की है।

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!
Exit mobile version