हास्य-व्यंग्य के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट प्रतिभा एवं कविताओं की वाचिक परंपरा का विकास करने वाले प्रसिद्ध कवी डॉ. अशोक चक्रधर

हास्य-व्यंग्य के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट प्रतिभा एवं कविताओं की वाचिक परंपरा का विकास करने वाले प्रसिद्ध कवी डॉ. अशोक चक्रधर। हास्य की विधा के लिये अशोक चक्रधर की लेखनी जानी जाती है। कवि सम्मेलनों की वाचिक परंपरा को घर घर में पहुँचाने का श्रेय गोपालदास नीरज, शैल चतुर्वेदी, सुरेंद्र शर्मा और ओमप्रकाश आदित्य आदि के साथ-साथ इन्हें भी जाता है।

अशोक चक्रधर ने आसपास बिखरी विसंगतियों को उठाकर बोलचाल की भाषा में श्रोताओं के सम्मुख इस तरह रखा कि वह क़हक़हे लगाते-लगाते अचानक गम्भीर हो जाते हैं और क़हक़हों में डूब जाते हैं, आँखें डबडबा आती हैं, इसमें हंसी के आँसू भी होते हैं, और उन क्षणों में, अपने आँसू भी, जब कवि उन्हें अचानक गम्भीरता में ऐसे डुबोता चला जाता है कि वे मन में उसकी कसक कहीं पर गहरे महसूस करने लगते हैं।
उन्होंने प्रौढ़ एवं नवसाक्षरों के लिए विपुल लेखन, नाटक, अनुवाद, कई चर्चित धारावाहिकों, वृत्त चित्रों का लेखन निर्देशन करने के अलावा कंप्यूटर में हिंदी के प्रयोग को लेकर भी महत्वपूर्ण काम किया है।

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!
Exit mobile version