हिन्दी एवं उड़िया भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार लोचन प्रसाद पांडेय

हिन्दी एवं उड़िया भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार लोचन प्रसाद पांडेय। लोचन प्रसाद पाण्डेय की कुछ रचनाएँ कथाप्रबंध के रूप में हैं तथा कुछ फुटकर। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से पाठकों को चरित्रोत्थान की प्रेरणा दी। उस समय उपदेशक का कार्य भी साहित्य के सहारे करना आज की तरह नहीं था, इसलिए इनकी रचनाओं ने पाठकों के संयम के प्रति रुचि उत्पन्न की। ये ‘भारतेन्दु साहित्य समिति’ के एक सम्मानित सदस्य थे। लोचन प्रसाद पाण्डेय का साहित्यिक-कृतित्व, चरित्रोत्थान, नीति-पोषण, उपदेश-दान, वास्तविक-चित्रण एवं लोककल्याण के लिए ही परिसृष्ट हुआ है। इनके काव्य का वस्तुगत रूपाधार अभिधामूलक, निश्चित एवं असांकेतिक है।

वे कथा एवं घटना का आधार लेकर वृत्तात्मक कविताएँ लिखा करते थे। सन १९०५ ई. से ये ‘सरस्वती’ में कविताएँ लिखने लगे थे। भारतेन्दु का जागरण-तृयं बज चुका था। द्विवेदी युग के शक्ति-संचय काल में लोचन प्रसाद पाण्डेय का अभ्यागमन हुआ। इसी समय सहृदय सामयिकता, ओज, संतुलित पद-योजना एवं तत्सम पदावली से पूर्ण इनकी कविता ने सांकेतिकता एवं ध्यन्यात्मकता के अभाव में भी हृदय-सम्पृक्त इतिवृत्त के कारण लोगों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया। स्फुट एवं प्रबन्ध, दोनों ही प्रकार की कविताओं द्वारा लोचन प्रसाद जी ने सुधार-भाव को प्रतिष्ठापित किया। ‘मृगी दु:खमोचन’ नामक कविता में वृक्ष-पशु आदि के प्रति भी इनकी सहृदयता सुन्दर रूप में व्यक्त हुई है।

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!
Exit mobile version