हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध उपन्यासकार, कथाकार, नाटककार और आलोचक श्री. गिरीराज किशोर। उनके सम-सामयिक विषयों पर विचारोत्तेजक निबंध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे थे। वे बालकों के लिए भी लिखते थे। गिरिराज किशोर जी को सर्वाधिक कीर्ति औपन्यासिक लेखन के माध्यम से ही प्राप्त हुई। गिरिराज जी स्वतंत्र लेखन तथा कानपुर से निकलने वाली हिन्दी त्रैमासिक पत्रिका ‘अकार’ त्रैमासिक के संपादन में संलग्न थे।
अपनी विनम्रता, सौजन्यता के लिये जाने जाने वाले गिरिराज जी मानते हैं – “सख्त से सख्त बात शिष्टाचार के आज घेरे में रहकर भी कही जा सकती है। हम लेखक हैं। शब्द ही हमारा जीवन है और हमारी शक्ति भी। उसको बढ़ा सकें तो बढ़ायें, कम न करें। भाषा बड़ी से बड़ी गलाजत ढंक लेती है।”
इनका उपन्यास ‘ढाई घर’ अत्यन्त लोकप्रिय हुआ था। वर्ष १९९१ में प्रकाशित इस कृति को १९९२ में ही ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित कर दिया गया था। गिरिराज किशोर द्वारा लिखा गया ‘पहला गिरमिटिया’ नामक उपन्यास महात्मा गाँधी के अफ़्रीका प्रवास पर आधारित था, जिसने इन्हें विशेष पहचान दिलाई।
बहुआयामी प्रतिभा सम्पन्न लेखक गिरिराज किशोर
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